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बरसाना ही नहीं यहां भी खेली जाती है 'लट्ठमार होली', जहां महिलाएं लठ लेकर पेड़ की करती हैं रखवाली By posted Adesh Babu

कृष्ण की नगरी बरसाना भले ही 'लट्ठमार' होली के लिए जानी जाती हो, लेकिन देश में 'वीरों की धरती' का खिताब हासिल कर चुका बुंदेलखंड 'लट्ठमार होली' के मामले में बरसाना से भी आगे है।

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यहां होली के रंगों में सराबोर होने से पहले 'लट्ठमार' होली का जश्न भी मनाया जाता है। समूचे देश में राधा रानी की नगरी बरसाना की 'लट्ठमार' होली प्रसिद्ध है। बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि बुंदेलखंड में भी 'लट्ठमार' होली खेली जाती है और इसके बाद ही होली खेली जाती है। 



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बुंदेलखंड के झांसी जिले के विकास खंड रक्सा के पुनावली कलां गांव की लट्ठमार होली बरसाना से ज्यादा दिलचस्प होती है। यहां एक पोटली में महिलाएं गुड़ की भेली बांधकर कर किसी डाल में टांग देती हैं, फिर महिलाएं लठ लेकर उसकी रखवाली में मुस्तैद हो जाती है। 


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जो भी पुरुष इसे हासिल करना चाहेगा, पहले उसे महिलाओं से लोहा लेना होगा। बच्चे ही नहीं, बड़े बुजुर्ग भी इस लट्ठमार होली में शिरकत करते हैं, इस रस्म के बाद ही यहां होलिका दहन और तत्पश्चात रंग और गुलाल का 'फगुआ' होता है।


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इतिहासकार सुनीलदत्त गोस्वामी बताते हैं कि राक्षसराज हिरणकश्यप की राजधानी ऐरच कस्बा थी, जिसे त्रेतायुग में 'ऐरिकक्च ' कहा जाता था। विष्णु भक्त प्रह्लाद को गोदी में लेकर हिरणकश्यप की बहन होलिका यहीं जलती चिता में बैठी थी। 

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उस समय भी राक्षस और दैवीय शक्ति महिलाओं के बीच युद्ध हुआ था, यहां की महिलाएं इसी युद्ध की याद में 'लट्ठमार होली' का आयोजन करती हैं। 

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